मै कभी बताती नहीं कि मेरे ख्याल क्या हैं,
मै कभी जताती नहीं कि मेरे अरमान क्या है,
बिना कुछ बोले मेरी आँखों से समझ लेना मेरे अरमान क्या है!
तेरी याद में तड़पती हु, तुझसे मिलने को तरसती हु!
तरसती हु फिर से तेरी उन बातों में खो जाने को!
तेरे मुझे सताने को, तेरी उन अटखेलियों को!
तरसती हु कभी तेरे बचपने से मिलने को!
तड़पती हु तेरी बाँहों में फिरसे खो जाने को!
तरसती हु तुझसे झगड़ने को!
तरसती हु तुझसे लड़ने को!
तुझे याद कर के लिखती हूँ!
क्या लिखती हूँ पता नहीं!
मै कभी बताती नहीं कि मेरे ख्याल क्या हैं,
मै कभी जताती नहीं कि मेरे अरमान क्या है,